उपकार ..
नफ़रत किया जो
तुमने क्या पा जाओगे ?
मेरे हालत एक दिन
जरुर बह जाओगे ।
गए अभिमानी
कितने
आयेगे
और
गरीब कमजोर को
सतायेगे ।
मै नहीं चाहूगा
कि वे बर्बाद हो
पर
वे हो जायेगे ।
जग जान गया है
गरीब कि
आह
बेकार नहीं जाती
एक दिन ख़ुद
जान जाओगे ।
मै कभी ना था
बेवफा
दम्भियो ने
दोयम दर्जे का
मान लिया
शोषित के दमन कि
जिद कर लिया ।
समता का पुजारी
अजनबी हो गया
कर्मपथ पर
अकेला चलता गया ।
वे छोड़ते रहे
विषबान,
घाव रिसता रहा
आंसुओ को स्याही मान
कोरे पन्ने सजाता रहा ।
शोषित कि
काबिलियत का
अंदाजा ना लगा
भेद का जाम ,
महफ़िलो में
शोषित अभागा लगा ।
वक्त का इन्तजार है
कब करवट बदलेगा
दुर्भाग्य पर कब
हाथ फेरेगा ।
मेरी आराधना कबूल करो
प्रभु
नफ़रत करने वालो के
दिलो में
आदमियत का भाव
भर दो
एहसानमंद रहूगा
तुम्हारा
उपकार कर दो ....नन्दलाल भारती ... १५.०९.२०१०
Wednesday, September 15, 2010
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment