Friday, September 17, 2010

उम्मीद

उम्मीद ..
म्मीद पर उम्मीद
जीवन रसधार ,
गैर-उम्मीद टूटी
हिम्मत
डूबे मझधार ।
जीवन का दुःख-सुख
ओढ़ना-बिचौना
उम्मीद पर उंगली
रिश्ता हुआ बौना ।
उम्मीद बोती
निराशा में अमृत -आशा
जन-जन समझे
उम्मीद की परिभाषा ।
उम्मीद के समंदर में
जीवित है सपने
टूटी उम्मीद
बिखरी चाहत
बैर हुए अपने ।
उम्मीद है बाकि
पतझड़ में बरसे
बसंत
उम्मीद का ना कोइ
ओर-छोर ना है अंत ।
उम्मीद विश्वास
बन जाते
जग के बिगड़े काम
मंदिर मस्जी,गिरजाघर
बुध्द का कहे पैगाम।
उम्मीद जीवन
या
दूजा नाम धरे भगवान
उम्मीद है
जीवन की डोर
टूटी हुआ वीरान ।
मैंने भी थाम लिया है
उम्मीद का दामन
चली तैयार बार-बार
नसीब बनी रेगिस्तान ।
काबिलियत का क़त्ल
हक़ पर सुलगे
सवाल ,
लूटी नसीब सरेआम
खड़ा तान ऊंचा भाल ।
अभिमान दहके
फूटा शोला विष सामान
उम्मीद के दामन लिपटा
गढ़ गयी पहचान ।
उम्मीद वन्दनीय
गाद,खुदा, प्रभु का प्रतिरूप
जमी रहे परते
उम्मीद की छंट जायेगी धुप .............नन्दलाल भारती ॥ १७.०९.२०१०

हिंदी हिन्दुस्तान की आत्मा है


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