सम्मान ॥
वेद पुरानो ने माना
हमने भी दिया है
सम्मान ,
पति नारी जहा है
मान
वहा पालथी मारे
सम्पन्नता
कथन महान ।
वज्र सी कठोर
अग्नि सी
प्रचंड
पुष्प सी अभिलाषा
मिट जाती
फ़र्ज़ पर
खंड-खंड।
उज्जवल मनोरथ
परिवार की
कश्ती ,
लक्ष्मी सरस्वती
दुर्गा की
प्रतिमूर्ति ।
आदर्श आज
भी
जहा में
निश्छल मान
मानव-मन में ।
मान को बहार
स्वाभिमान को चाहिए
उड़ान ,
घर बना रहे मंदिर
त्याग के
बदले नारी को
सम्मान चाहिए .......... नन्दलाल भारती .....१९.०९.२०१०
Sunday, September 19, 2010
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बहुत अच्छी प्रस्तुति। राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
ReplyDeleteसमझ का फेर, राजभाषा हिन्दी पर संगीता स्वरूप की लघुकथा, पधारें