Tuesday, September 28, 2010

स्वार्थ का कूड़ा

.. स्वार्थ का कूड़ा ॥
स्वार्थ का कूड़ा जब
जिंदगी में
घर कर जाता है ना ,
आँखों से सूझता ही नहीं,
दिल भी मानो मर जाता है ।
आदमी पिशाच होकर
कुख्यात हो जाता है
तानाशाह स्वार्थी के नाम से ।
आज भी कई नर पिशाच
जड़ खोद रहे है
इंसानियत की
गरीब जनता की
शोषित पीड़ित जनों की ।
निर्भय भर्ष्टाचार का आतंक
मचा रहे है ।
नकाब ओढ़े बढ़ रहे है
तरक्की की ओर
जब नकाब छंट
जाएगा ना
तब खिताब मिलेगा
आदमखोर
स्वार्थ तानाशाह का ।
सचमुच स्वार्थ के कूड़े में
दबे लोग ,
स्टालिन, पोलपोट,हिटलर ही तो
कहे जाते है ।
अरे नकाबपोशो
उतर जाएगा
एक दिन नकाब जब ना
खुद दाग लेकर मुंह छिपाओगे
या
कर लोगे
आत्मदाह
हिटलर की तरह ।
तुम्हारी पीढिया
नहीं ढो पाएगी
ख़िताब को ।
सच मानो स्वार्थ का कूड़ा
जब सिर चढ़ जाता है ना ।
आदमी को आदमखोर बना देता है ।
स्वार्थ के दाग को धोते -धोते
कई पीढिया
शर्मशार हो जाती है
अभी तक तो
ऐसा ही हुआ है ,
स्टालिन,हिटलर और पोलपोट के साथ .......नन्दलाल भारती ... २८.०९.२०१०







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