मंगल कामना ..
बंटवारे में
विषमता मिली
मुझे,
विरासत में
तुम्हे क्या दू ?
विधान संविधान के
पुष्प से
कोई सुगंध फ़ैल जाए ।
ह्रदय दीप को
कोई
ज्योतिर्पुंज मिल जाए ।
आशा की कली को
समानता का मिले
उजास ।
धन धरती से बेदखल
देने को बस
सद्भावना का
नैवेद्य है
मेरे पास।
ग्रहण करो
बुध्द जीवन वीणा
के
बने रहे सहारे ।
चाहता हूँ
जग को
ज्योति दो
नयन तारे ।
तुम्ही बताओ
भारती
शोषण उत्पीडन का
विष पीकर
साधनारत
जीवन को
आधार क्या दू ।
बंटवारे में
मिली विषमता
मुझे
तुम्हे मंगल
कामना
के अतिरिक्त
और
क्या दू........ नन्द लाल भारती ... १८.०८.२०१०
Wednesday, August 18, 2010
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
बंटवारे में
ReplyDeleteमिली विषमता
मुझे
तुम्हे मंगल
कामना
के अतिरिक्त
और
क्या दू........
सुंदर अभिव्यक्ति ,बधाई