काबिलियत ॥
काबिलियत पर,
ग्रहण लगा दोधारी ,
योग्यता पर छा
महामारी ।
फ़र्ज़ और भूख ने
कैदी बना रखा है ,
मुश्किलों के समर ने
राहे रोक रखा है ।
चनसिक्को की
बदौलत
उम्र बिक रही है
श्रम की बाज़ार में
तक़दीर छीन रही है ।
मायुसी के
बादल
उखाड़ने लगे है
पर.....
तार-तार अरमानो को
भारती
ताग-ताग कर रहा बसर । नन्दलाल भारती ( मोबाइल -०९७५३०८१०६६) १4.०८.२०१०
Friday, August 13, 2010
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