Saturday, August 14, 2010

जिंदाबाद .......

जिंदाबाद ....
राष्ट्रीय त्यौहार आजादी का दिन
देश- घर-आहोहावा
और
हर चोला के मग्न होने का दिन
इसीदिन की इन्तजार में
अनगिनत शहीद हो गए
खुद के लहू से आज़ादी की ,
दास्तान लिख गए ।
आज़ादी का जश्न
तिरंगा की मस्ती
हमारी जान
बाँट रहा ख़ुशी
धरती और गगन में
और हम देशवासी
एक दुसरे को ।
हमारी ख़ुशी को कोई
पैमाना नाप नहीं सकता
नहीं समंदर को स्याही
और
पेड़ो को लेखनी
बनाकर लिखा जा सकता
हम हो भी क्यों न
इतने खुश
आज़ादी तो परिंदों को भी
जान से प्यारी होती है
हम इंसान
इंसानियत के सर्वधर्म ,
समता सद्भावना के पुजारी ।
एक दर्द है
हमारे दिल में भी
आँखों को तरबतर कर देता है
आंसू से ......
आम हाशिये के आदमी को
आज़ादी के इतने दशको बाद
दीदार नहीं हुए
असली आज़ादी के
वह आज भी
आज़ादी से कोसो दूर
फेंका .....
भय-भूख,शोषण,उत्पीडन
भूमिहीनता ,दरिद्रता को
लाचार नसीब मान बैठा है
यही बड़ा दुःख है
दिल का ...
कारण भी ज्ञात है
हमारे अपने मुखौटाधारी
लोकतंत्र के पहरेदार
छीन रहे है
शोषित,वंचित आम आदमी का हक़
छिना तो मुग़ल शाशको ,सामंतवादी
और
गोरो ने भी मचा दिया था तबाही
लोकतंत्र में भी
हाशिये का आदमी तरक्की से बेदखल
यह तो असली आज़ादी नहीं
न तो आज़ादी के लिए
जान देने वालो की थी
यह चाह ॥
उनकी चाह थी
अपना देश वपना संविधान
आम आदमी की तरक्की
आज आदमी ही
असली आजे के सपने में
जी रहा है
देश की आज़ादी के जश्न के दिन
वह बहुत खुश है
आजाद देश की आजाद हवा पीकर ....
देश में व्याप्त भ्रष्टाचार,अत्याचार, शोषण,भूमिहीनता
उत्पीडन , जातिवाद , नक्सलवाद से उबरने के लिए
एक और जंग की जरुरत है
तभी मिल सकेगी
आम हाशिये के आदमी को
असली आज़ादी
तभी वह चल सकता है
विकास के पथ पर...
ऐसा हो गया तो
विहस उठेगी शहीदों की आत्माये
असली आज़ादी को देखकर ।
आओ कर दे शंखनाद
विहस उठे आम हाशिये का आदमी
राष्ट्र बन जाए
धर्म .....
ऐसी सद्भावना कर सकरी है
उध्दार
देश और हाशिये के आदमी का
यही सपना भी था
अमर शहीदों का
आओ एक बार फिर खा ले कसम
देश और आम आदमी के हित में
जिससे हमारी आज़ादी रहे आबाद
हर देशवासी का एक सुर हो
भारत माता की जय
१५ अगस्त जिंदाबाद .......नन्दलाल भारती १४.०८.२०१०
( चलितवार्ता -०९७५३०८१०६६ ) -आज़ाद दीप - 15 ,एम्- वीणा नगर, इंदौर (म..)

1 comment:

  1. वाह नंदलाल जी।।।।।।।।।।।।।। जय हिन्‍द जय भारत

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